सामग्री-
1 किलो अच्छे बड़े आँवले, 2.5 किलो गुड़, 15 ग्राम लेन्ड़ी पीप्पली, 10 ग्राम वंशलोचन, 5 ग्राम लौंग, 5 ग्राम छोटी इलाईची, 15 ग्राम सोंठ, 5 ग्राम नागकेशर, 5 ग्राम जावित्री, 1.25 किलो शहद, 1चम्मच श्रृंगभस्म, 250 ग्राम घी, 5 ग्राम दालचीनी, इत्यादि हो सके तो प्रवाल पिष्टी ।
घर में च्यवनप्राश बनाते समय यह ध्यान रखें कि आँवला पकाने पर गुणदायी बनता है। आँवला उरःक्षत हृदयरोग, स्वरभंग द्गवास, कास, वातरक्त, पित्त, मूत्रादोष ऐसे अनेकों रोगों से दूर रखता है। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है। यह च्यवनप्राश हम घर में आसानी से बना सकते है।
विधि -पिसा छना आँवले का गूदा कलई के तपेले में घी डालकर लाल होने तक सेंकें। आंच मन्द हो। अच्छा सेंकने पर घी अलग होने लगता है। फिर गुड़ मिलाकर पकाएं । गाढ़ा होने पर तपेला सिगड़ी से नीचे उतारकर कपड़े से ढ़ँक दें, जिससे तपेले में मच्छर-मक्खी न जायें। दूसरे दिन ठंड़ा होने पर उसमें उपरोक्त मसाले, दवाईयाँ महीन पीसकर मिलाएं। शहद भी मिलाएं। दो घण्टे तक तपेले में ही रहने दें। फिर एक बार हिलाएं, जिससे दवाईयाँ ठीक से मिल जाएं। शहद भी ठीक से मिला हो, यह देख लें। बाद में कांच कि बरनी में भरें यह च्यवनप्राश है।
आंवला सुपारी – आंवले उबालकर बीज निकालकर उसमें नमक का घोल स्वादानुसार मिला दें। 5-6 दिन सुखा दें।
आंवला द्गारबत – पके आँवलें पीसकर उनका रस निकालें। अंदाज से तीन गुना शक्कर डालकर पक्की चासनी बना लें। यह चासनी गाढ़ी हो। चासनी होने पर गैस बन्द करें। ऊपर मलाई जैसी परत ना जमे इसलिये आधा घण्टे तक बीच-बीच में कलछी से हिलाते रहें। जिससे द्यशरबत अच्छा बने। यह गाढ़ा हो तो भी पानी में ड़ालने पर घुल जाता है। यह मधुर होता है। यह शरबत दीपक, पाचक, रुचिकर होता है।
बीमारी से उठे अशक्त लोगों के लिये जो च्यवनप्राश बनाया जाता है, उसके आंवले निम्न दवाईयों के क्वाथ में उबाल जाते है। (पाटला,आर्णी,गंभारी बेल) की छाल, (शालपर्णी, पुष्ठपर्णी, कटेली, बड़ी कटेली, पीपल फाकड़द्गिांगी) के पत्ते, गोखरू, मुनक्का, हरड़, खरेंटी, भूमि आंवला। (अडूसा जीवंती कचूर नागरमोथा) के पत्ते । कमल गटा, छोटी इलाइयची, चंदन की भूसी इन सब को पानी में डालकर आठ घण्टे रखते है। वह पानी क्वाथ कहलाता है।