Description
चोपचीनी रसायन अर्थात बढ़ती आयु के दुष्प्रभावों से बचाने वाली, स्नेहन अर्थात जोड़ों में चिकनाई को बनाए रखने वाली, स्वेदल अर्थात पसीने के माध्यम से शोधन करने वाली, रक्तशोधक अर्थात रक्त को शुद्ध करने वाली, दुष्ट घावों को ठीक करने वाली (ऊपर से लगाने या अंदर से सेवन करने, दोनों ही प्रकार से), तथा बल्य अर्थात शक्ति वर्धक होती है। त्वचा रोग में गाय के शुद्ध घी में मिला कर प्रभावित स्थान पर लेप लगाते हैं। चोपचिनी अपने एंटी-सोरायटिक गुण के कारण प्रभावित क्षेत्र पर क्रीम के रूप में लगाने पर सोरायसिस के प्रबंधन में सहायता करता है। यह सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकता है और इनके कारण होने वाले उपद्रव (inflammation) के कारण होने वाली त्वचा की सूजन को कम करता है। चोपचिनी में उपस्थित एक निश्चित घटक में एंटीप्रोलिफेरेटिव गुण होते हैं जो सोरायसिस के प्रबंधन में भी सहायक हैं। यह कोशिका प्रजनन या प्रसार को रोकता है।
Chopchini is Rasayana means to protect from the ill effects of aging, Snehana means to keep the joints lubricated, Svedal means to purify through sweat, Rakta-shodhaka means to purify the blood, to heal wicked wounds. (Applying on skin and consuming from inside, both ways), and balya means that it increases strength. In skin diseases, mix pure cow ghee and apply paste on the affected area. Chopchini helps in the management of psoriasis when applied in the form of a cream on the affected area due to its anti-psoriatic property. It inhibits the growth of microorganisms and reduces the inflammation of the skin due to the inflammation caused by them. A certain ingredient present in Chopchini has antiproliferative properties that are also helpful in the management of psoriasis. It inhibits cell reproduction or proliferation.
Reviews
There are no reviews yet.