शरीर में कहीं भी दर्द, सुन्नपन या अकड़न होने पर वहां रक्त संचार बढ़ाने की आवश्यकता होती है। इसमें ताली योग का बड़ा योगदान है। अपने ही हाथों से अपने प्रत्येक दर्द के स्थान पर हल्की-हल्की लगातार चपत देकर वहां पर रक्त संचार बढ़ाया जा सकता है। प्रतिदिन शरीर के नाजुक अंगों को छोड़कर आपने हाथ, पैर, पीठ, गर्दन, कंधे, पैरों के तलवे, आदि पर एक लाइन से चपत लगाते हुए या ताली बजाकर स्वयं ही रक्त संचार बढ़ाया जा सकता है। जब आप अधिक तेज हवा, कूलर या एसी में रहते हैं, तब यह योग अति आवश्यक है।
If there is pain, numbness or stiffness anywhere in the body, there is a need to increase blood circulation. Clap yoga is a major contributor to this. Blood circulation can be increased there by giving continuous pat to each and every place of pain with our own hands. You can increase blood circulation on your hands, feet, back, neck, shoulders, soles of feet, etc. by patting or clapping with your hands daily. In that case delicate parts of body should be excluded. Clap yoga is needful when you use fan, cooler or AC.
A course specially designed by Swami Vivekananda Yog Anusandhan Samsthan to deal with tension and stress. Which mount up & come in the way of our day to day work schedule. Steps of this meditation are given bellow. First read all the instructions carefully. Read all the steps of meditation in next. An audio of yoga class of Cyclic meditation taught by Dr. Purnima Datey is available on the link given bellow.
Instructions:
Schedule time for yoga practice- 60
minutes.
Sadhak should have had his/her food
at least before 1 hour.
Sadhak should have wear loose
dresses.
Every sadhak should have his/her own
bed sheet.
At least 6 x 3feet place is required
for each sadhak.
Sadhak should go back silently to
their place. So they can have maximum advantage of practice.
Sadhak can have food only after half
an hour.
Hari om
According to the modern science, stress is a reflex to a demanding situation. We encounter a large number of demanding situations in our day to day life. Our system continuously took off the situation by raising itself to a heightened activity. Bring up a series of activity changes starting from cortex down to each & every part of the body. That makes many changes in the body. Increase blood circulation, heartbeat, breathing rate, BP etc. At the conclusion of the demanding situation body comes to the normalcy. Though it is a normal process, it can collapse if it is repeated number of times. But however modern life continuously simulates us. It results so many diseases like BP, Sugar, Back pain, ulcer etc. In the accompanying link, an audio conversion of this yoga class is being given. You can easily practice this exercise by following it. This recording is taken from a yoga meditation class taken by Dr. Purnima Datey. h
अत्यधिक तनाव पूर्ण स्थिति का स्वप्रबंधन, यह विशिष्ट योगाभ्यास स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु द्वारा तैयार किया गया है। इसमें तनाव की स्थिति से स्वयं को बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है। जब तनाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो वह हमारे दैनिक कार्यों को प्रभावित करता है। इस अभ्यास को बिंदुवार रूप से नीचे दिया जा रहा है। कृपया सबसे पहले यह योगाभ्यास करने के पूर्व ध्यान देने योग्य बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। उसके बाद एक-एक स्थिति को क्रमशः पढ़ें। साथ में दिए गए लिंक में इस योगाभ्यास की कक्षा का श्रव्य रूपांतरण दिया जा रहा है। उसे सुनकर आप यह अभ्यास सरलता पूर्वक कर सकते हैं। यह रिकॉर्डिंग डॉक्टर पूर्णिमा दाते द्वारा ली गई आवर्तन ध्यान की योग कक्षा से ली गई है।
योगाभ्यास कक्षा के पूर्व निर्देश
योगाभ्यास का नियत समय 60 मिनट है।
साधक को योगाभ्यास करने से कम से कम 1 घंटा पूर्व ही आहार लेना चाहिए।
साधक को योगाभ्यास के समय ढीले कपड़े पहनने चाहिए।
प्रत्येक साधक का अपना एक अलग आसन होना चाहिए, जो लगभग 6 फीट लंबा और 3 फीट चौड़ा होना चाहिए।
योगाभ्यास पूर्ण होने के पश्चात साधक को शांति पूर्वक वापस जाना चाहिए, ताकि इस अभ्यास का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
इस अभ्यास के आधे घंटे बाद ही कोई आहार लिया जा सकता है। हरि ओम।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार तनाव हमारे सामने उत्पन्न विपरीत परिस्थिति का परिणाम है। हमारे अंदर स्थित प्रबंधन प्रणालियां सतत इन विपरीत परिस्थितियों का प्रबंधन करती रहती हैं इस हेतु हमारे द्वारा कोई न कोई प्रतिक्रिया होती है। यह प्रतिक्रिया श्रृंखलाबद्ध रूप से हमारे मस्तिष्क में कॉर्टेक्स नाम की ग्रंथि से प्रारंभ होकर नीचे शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है। इसके कारण हमारे शरीर में अनेक भौतिक परिवर्तन होते हैं। जैसे हमारे रक्त का संचार तीव्र होना, ह्रदय गति बढ़ना, श्वास गति तथा रक्तचाप बढ़ना इत्यादि। तत्कालीन विपरीत परिस्थिति के समाप्त हो जाने के बाद हमारा शरीर सामान्य
हो जाता है। यद्यपि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, किंतु इसके बार-बार जल्दी-जल्दी दोहराए
जाने पर हमें अनेक रोग घेर लेते हैं। जैसे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पीठ दर्द, अल्सर
आदि।
The SMET is based on Upanishadik principle of stimulation & relaxation. In Mandukya Upanishad, there is a beautiful ‘karika’ –
आवर्तन ध्यान का यह योगाभ्यास एक श्लोक से प्रारंभ होता है। जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा लिखी गई मांडूक्य उपनिषद् की टीका में लिखित एक कारिका से लिया गया है-
That means- In the state of oblivion, awaken the mind. When agitated, pacify it; in between the mind. If the mind has reached the state of perfect equilibrium, then do not disturb it again.
अर्थ – शरीर की संपूर्ण स्थिर अवस्था में, जब चित्त की की गहराइयों में पड़े विकार बाहर आकर हमें विचलित करने का प्रयास करते हैं। तब ईश्वर से प्रार्थना है कि, ऐसी स्थिति में हम उन विकारों को समझ कर शांत कर सकें। ताकि वह हमें पुनः विचलित न करें।
Mind
goes into a state of stagnation. Then address it, stimulate in & bring it
to activity. When we bring it to activity, it becomes hyper active. Mind has to
be calm down again & again. It has to be done. This is the essence of the
entire SMET program. This two fold approach of stimulating & relaxing has been
actualize in to a package by using the different yoga techniques. For stimulate
we use Aasanas, the breathing, the blood circulations, the nerves & pulses,
by relaxation, by let go, by calming down, we relive the stresses intensions.
The set of 35 minutes yoga practices is given bellow.
SMET Practice: (self management of excessive tension*Cyclic meditation)- 35 MINUTES
Prayer: Om Sahanavavatu, Sahanau bhunaktu, Sahaviryam karavavahai, Tejasvinavadhitamastumavidvishavahai, Om shantihi! shantihi! shantihi!
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ परमेश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें, हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए, हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें, हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो, हम दोनों परस्पर द्वेष न करें।
IRT (Instent relaxation technique) Horizontal awareness with ‘A’ kara
CENTRING
Standing Postures – a. Sthiti: Tadasana, b. ARDHA CHAKRASANA c. ARDHAKATI CHAKRASANA d. PADAHASTASANA