ग्रीष्म ऋतु में होने वाले कुछ ऐसे रोग हैं जो तीव्र रोगों की श्रेणी में आते हैं। तीव्र रोग ऐसे रोगों को कहते हैं, जो तेजी से उभरते हैं और सही उपचार मिलने पर जल्दी से ठीक भी हो जाते हैं। ऐसे रोगों का सही उपचार न हो और उन्हें दबा दिया जाए तो वह विकृत होकर नए रोग का रूप धारण कर लेते हैं। इसलिए ऐसे रोगों को घरेलू उपचार से ठीक करना अधिक लाभदायक होता है।
ग्रीष्म ऋतु के कुछ तीव्र रोग एवं उनके घरेलू उपचार इस प्रकार हैं-
लू लगना- सर्वांग मिट्टी लेप करें, बेलफल का रस नींबू गुड पानी लें, कच्ची प्याज का सेवन करें, हाथों और पैरों के तलवों पर मेहंदी लगाएँ, गुलाब, तुलसी बीज, नारियल पानी, खरबूज, तरबूज, मौसंबी, कोकम शरबत आदि का अधिक सेवन करें, नियमित फलामृत का सेवन करें। ग्रीष्म ऋतु का फलामृत नारियल दूध में खरबूज, तरबूज, आम केला, चीकू इत्यादि फलों को मिलाकर बनाया जाता है। खाली पेट गन्ने का रस लें।
घमोरियाँ- कैरी को उबालकर उसके गूदे को पूरे शरीर पर रगड़कर स्नान करें, सर्वांग मिट्टी लेप करें, राल मलहम लगाएँ, बेलफल, नारियल दूध तुलसी बीज, आँवला, गिलोय, आदि रसों का सेवन करें।
आंखों में सूजन आना, पानी बहना, आंखें लाल हो जाना, जलन होना- आंखों पर जादू मिट्टी की लोई रखना अत्यंत लाभदायक होता है। लोई बनाने हेतु पानी के स्थान पर ग्वारपाठा रस का उपयोग किया जाए तो वह और भी अधिक लाभदायक है। गेहूं के जवारे का रस आंखों में डालने से भी उसके एंटीबायोटिक प्रभाव के कारण आंखें साफ हो जाती हैं और सूजन, कीचड़ या पानी बहने में आराम मिल जाता है।
सरद गरम होने के कारण होने वाला जुकाम- यदि बहुत नाक बह रही है, छींकें, आंखों, नाक और कान की खुजली होती हो तो अदरक का रस बराबरी से शहद मिलाकर प्रति 1 घंटे में एक-एक चम्मच लेते रहें। अनार रस काली मिर्च शहर से नमक डालकर लें।
गला दर्द- काली मिर्च और सेंधा नमक बराबरी से मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में चाटते रहें। अडुसा गिलोय रस का सेवन करें, अनार रस काली मिर्च सेंधा नमक और शहद डालकर लें।
दस्त/ आँव- नींबू गुड पानी, बेल फल रस खाली पेट लें।
अधिक धूप लगने के कारण आने वाला ज्वर- कच्ची प्याज का अधिक सेवन करें और पूरे समय अपने पास रखें, गेहूं के जवारे, गिलोए, नागर मोथा का रस, नारियल दूध तुलसी बीज का रस सेवन करें, कैरी का पन्हा सेंधा नमक गुड और काली मिर्च डालकर पिएँ, कोकम शरबत का नियमित सेवन करें। सर्वांग मिट्टी लेप करें। इस हेतु जादू मिट्टी अपने पास उपलब्ध है।
नाक से रक्त आना- रोगी को पीठ के बल लेट कर सर बिस्तर से नीचे लटका दें और प्याज सुँघाएं।
गेहूं के जवारे आंवला और गिलोय रस, नारियल दूध कोकम रस नियमित दें।